ग़म की तौहीन न कर ग़म की शिकायत कर के By Sher << मेरा हाल-ए-ज़ार तो देखा म... ख़्वाबों की किर्चियाँ मिर... >> ग़म की तौहीन न कर ग़म की शिकायत कर के दिल रहे या न रहे अज़मत-ए-ग़म रहने दे belittle not these sorrows, of them do not complain their glory be preserved, tho heart may not remain Share on: