ग़म में डूबे ही रहे दम न हमारा निकला By Sher << नेक गुज़रे मिरी शब सिद्क़... मुझे ये सारे मसीहा अज़ीज़... >> ग़म में डूबे ही रहे दम न हमारा निकला बहर-ए-हस्ती का बहुत दूर किनारा निकला Share on: