ग़म मुझे ना-तवान रखता है By Sher << गुलशन में जो वस्फ़ इस का ... गर मलूँ मैं कफ़-ए-अफ़्सोस... >> ग़म मुझे ना-तवान रखता है इश्क़ भी इक निशान रखता है Share on: