ग़म रहा जब तक कि दम में दम रहा By मीर तक़ी मीर, Sher << तिरे होते जो जचती ही नहीं... बिखरी हुई वो ज़ुल्फ़ इशार... >> ग़म रहा जब तक कि दम में दम रहा दिल के जाने का निहायत ग़म रहा Share on: