ग़म सभी दिल से रुख़्सत हुए By Sher << अभी से रास्ता क्यूँ रोकने... जम भी वही दारा भी सिकंदर ... >> ग़म सभी दिल से रुख़्सत हुए दर्द बे-इंतिहा रह गया Share on: