ग़म से नाज़ुक ज़ब्त-ए-ग़म की बात है By Sher << जल बुझूँगा भड़क के दम भर ... यही है ज़िंदगी अपनी यही ह... >> ग़म से नाज़ुक ज़ब्त-ए-ग़म की बात है ये भी दरिया है मगर ठहरा हुआ Share on: