ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वर्ना By Sher << बाल-ओ-पर की जुम्बिशों को ... जला कर ज़ाहिदों को मय-कशो... >> ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वर्ना थी आरज़ू कि तिरे दर पे सुब्ह ओ शाम करें Share on: