ग़म-ए-ज़िंदगी इक मुसलसल अज़ाब By Sher << पूछते हैं ये शाएरी क्या ह... किस से पूछें कि हम किधर ज... >> ग़म-ए-ज़िंदगी इक मुसलसल अज़ाब ग़म-ए-ज़िंदगी से मफ़र भी नहीं Share on: