ग़म-ए-मआल ग़म-ए-ज़िंदगी ग़म-ए-दौराँ By Sher << अपनी पहचान भीड़ में खो कर अकेला उस को न छोड़ा जो घर... >> ग़म-ए-मआल ग़म-ए-ज़िंदगी ग़म-ए-दौराँ हमारे इश्क़ का चर्चा कहाँ कहाँ न रहा Share on: