ग़म-ओ-अंदोह का लश्कर भी चला आता है By Sher << घर बनाने की बड़ी फ़िक्र ह... इक हर्फ़-ए-शिकायत पर क्यू... >> ग़म-ओ-अंदोह का लश्कर भी चला आता है एक घोड़-दौड़ सी है उम्र-ए-गुरेज़ाँ के क़रीब Share on: