गर ज़माने की अदावत है यही मुझ से तो मैं By Sher << ख़ुश हुआ ऐसा कि मैं आपे स... ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा उसी का ... >> गर ज़माने की अदावत है यही मुझ से तो मैं अभी रो रो के जहाज़ उस का डुबो देता हूँ Share on: