गर यही ना-साज़ी-ए-दीं है तो इक दिन शैख़-जी By Sher << गर्म कर दे तू टुक आग़ोश म... गंदुमी रंग जो है दुनिया म... >> गर यही ना-साज़ी-ए-दीं है तो इक दिन शैख़-जी फिर वही हम हैं वही बुत है वही ज़ुन्नार है Share on: