गर्द उड़ी आशिक़ की तुर्बत से तो झुँझला कर कहा By Sher << हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत ह... हम ने तो ख़ुद को भी मिटा ... >> गर्द उड़ी आशिक़ की तुर्बत से तो झुँझला कर कहा वाह सर चढ़ने लगी पाँव की ठुकराई हुई Share on: