गर्मी-ए-दैर-ओ-हरम से न मिटी दिल की तपिश By Sher << गुल ही कभी तो मुंतख़ब-ए-र... दोनों हाथों से मसर्रत को ... >> गर्मी-ए-दैर-ओ-हरम से न मिटी दिल की तपिश कर लिया सोज़-ए-जिगर से ही शरारा पैदा Share on: