गौहर-ए-मक़्सद मिले गर चर्ख़-ए-मीनाई न हो By Sher << चोर है दिल में कुछ न कुछ ... दिल देता है हिर-फिर के उस... >> गौहर-ए-मक़्सद मिले गर चर्ख़-ए-मीनाई न हो ग़ोता-ज़न बहर-ए-हक़ीक़त में हूँ गर काई न हो Share on: