घबरा के आसमाँ की तरफ़ देखती थी ख़ल्क़ By Sher << फिर मेहरबाँ हुआ है 'त... कली चमन में खिली तो मुझे ... >> घबरा के आसमाँ की तरफ़ देखती थी ख़ल्क़ जैसे ख़ुदा ज़मीन पे मौजूद ही न था Share on: