घर मिरे शब को जो वो रश्क-ए-क़मर आ निकला By Sher << हो गया चर्ख़-ए-सितमगर का ... गिला मुझ से था या मेरी वफ... >> घर मिरे शब को जो वो रश्क-ए-क़मर आ निकला हो गए परतव-ए-रुख़ से दर ओ दीवार सफ़ेद Share on: