घर से निकल कर जाता हूँ मैं रोज़ कहाँ By Sher << तुम्हारे संग-ए-तग़ाफ़ुल क... हक़ीक़तें तो अटल हैं बदल ... >> घर से निकल कर जाता हूँ मैं रोज़ कहाँ इक दिन अपना पीछा कर के देखा जाए Share on: