मेरी क़िस्मत है ये आवारा-ख़िरामी 'साजिद' By Sher << दूर के चाँद को ढूँडो न कि... जिस दिन से भुला दिया है त... >> मेरी क़िस्मत है ये आवारा-ख़िरामी 'साजिद' दश्त को राह निकलती है न घर आता है Share on: