मैं गिन रहा था शुआ'ओं के बे कफ़न लाशे By Sher << जिन को क़ुदरत है तख़य्युल... शायद अपना पता भी मिल जाए >> मैं गिन रहा था शुआ'ओं के बे कफ़न लाशे उतर रही थी शब-ए-ग़म शफ़क़ के ज़ीने से Share on: