घुटन तो दिल की रही क़स्र-ए-मरमरीं में भी By Sher << छटे ग़ुबार-ए-नज़र बाम-ए-त... मिलने वाले से राह पैदा कर >> घुटन तो दिल की रही क़स्र-ए-मरमरीं में भी न रौशनी से हुआ कुछ न कुछ हवा से हुआ Share on: