गिरेगी कल भी यही धूप और यही शबनम By Sher << हर एक आँख को कुछ टूटे ख़्... देखते हैं दर-ओ-दीवार हरीफ... >> गिरेगी कल भी यही धूप और यही शबनम इस आसमाँ से नहीं और कुछ उतरने का Share on: