गो सरापा-ए-जब्र हैं फिर भी By Sher << आसमाँ अपने इरादों में मगन... यारब तू मुझे मेरे गुनाहों... >> गो सरापा-ए-जब्र हैं फिर भी साहिब-ए-इख़्तियार हैं हम लोग Share on: