गुज़र गया है कोई लम्हा-ए-शरर की तरह By Sher << या उन्हें आती नहीं बज़्म-... चाँद बैठा हुआ है पहलू में >> गुज़र गया है कोई लम्हा-ए-शरर की तरह अभी तो मैं उसे पहचान भी न पाया था Share on: