गुज़र रही है जो दिल पर वही हक़ीक़त है By Sher << हमारे जैसे वहाँ किस शुमार... फ़ैसला बिछड़ने का कर लिया... >> गुज़र रही है जो दिल पर वही हक़ीक़त है ग़म-ए-जहाँ का फ़साना ग़म-ए-हयात से पूछ Share on: