गुलाबों के नशेमन से मिरे महबूब के सर तक By Sher << इस दौर-ए-आख़िरी की जहालत ... जुनूँ के हाथ से है इन दिन... >> गुलाबों के नशेमन से मिरे महबूब के सर तक सफ़र लम्बा था ख़ुशबू का मगर आ ही गई घर तक Share on: