गुनाहों से हमें रग़बत न थी मगर या रब By Sher << शाइरी कार-ए-जुनूँ है आप क... इन में क्या फ़र्क़ है अब ... >> गुनाहों से हमें रग़बत न थी मगर या रब तिरी निगाह-ए-करम को भी मुँह दिखाना था o lord, i was not drawn to sinning all the time how else could i confront your mercy so sublime Share on: