जा सके न मस्जिद तक जम्अ' थे बहुत ज़ाहिद By मय कदा, Sher << अब तो सन्नाटे भी अच्छे नह... ज़वाल-ए-अहद तो शायद मुझे ... >> जा सके न मस्जिद तक जम्अ' थे बहुत ज़ाहिद मय-कदे में आ बैठे जब न रास्ता पाया Share on: