हाए ये हुस्न-ए-तसव्वुर का फ़रेब-ए-रंग-ओ-बू By Sher << यहाँ है धूप वहाँ साए हैं ... मेरे होने में किसी तौर से... >> हाए ये हुस्न-ए-तसव्वुर का फ़रेब-ए-रंग-ओ-बू मैं ये समझा जैसे वो जान-ए-बहार आ ही गया Share on: