मोहब्बत चीख़ भी ख़ामोशी भी नग़्मा भी ना'रा भी By Sher << रात को रात कह दिया मैं ने मय-ख़ाने की सम्त न देखो >> मोहब्बत चीख़ भी ख़ामोशी भी नग़्मा भी ना'रा भी ये इक मज़मून है कितने ही उनवानों से वाबस्ता Share on: