है ग़लत गर गुमान में कुछ है By ख़ुदा, तसव्वुफ़, Sher << हमें तो बाग़ तुझ बिन ख़ान... हाल मुझ ग़म-ज़दा का जिस ज... >> है ग़लत गर गुमान में कुछ है तुझ सिवा भी जहान में कुछ है Share on: