है जल्वा-फ़रोशी की दुकाँ जो ये अब इसी ने By Sher << जब शाम उतरती है क्या दिल ... बिछड़े लोगों से मुलाक़ात ... >> है जल्वा-फ़रोशी की दुकाँ जो ये अब इसी ने दीवार में खिड़की सर-ए-बाज़ार निकाली Share on: