है जिस्म सख़्त मगर दिल बहुत ही नाज़ुक है By Sher << हम हैं असीर-ए-ज़ब्त इजाज़... बाहर सारे मैदाँ जीत चुका ... >> है जिस्म सख़्त मगर दिल बहुत ही नाज़ुक है कि जैसे आईना महफ़ूज़ इक चट्टान में है Share on: