है ये दुनिया जा-ए-इबरत ख़ाक से इंसान की By Sher << कैसी चली है अब के हवा तेर... मैं ने तो यूँही राख में फ... >> है ये दुनिया जा-ए-इबरत ख़ाक से इंसान की बन गए कितने सुबू कितने ही पैमाने हुए Share on: