हज़ार दाम से निकला हूँ एक जुम्बिश में By Sher << मिरे लहू को मिरी ख़ाक-ए-न... इस्लाम का सुबूत है ऐ शैख़... >> हज़ार दाम से निकला हूँ एक जुम्बिश में जिसे ग़ुरूर हो आए करे शिकार मुझे Share on: