हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिए By Sher << हम रिवायात को पिघला के &#... हस्ती का नज़ारा क्या कहिए... >> हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिए नज़र नहीं तो अंधेरा है आदमी के लिए Share on: