हज़ारों घर हुए हैं इस से वीराँ By Sher << इतना नूर कहाँ से लाऊँ तार... दोस्ती का दावा क्या आशिक़... >> हज़ारों घर हुए हैं इस से वीराँ रहे आबाद सरकार-ए-मोहब्बत Share on: