हज़ारों क़ुमक़ुमों से जगमगाता है ये घर लेकिन By Sher << अपने अपने घर जा कर सुख की... ज़ोर से साँस जो लेता हूँ ... >> हज़ारों क़ुमक़ुमों से जगमगाता है ये घर लेकिन जो मन में झाँक के देखूँ तो अब भी रौशनी कम है Share on: