हज़ारों रंज-ए-दिल दे दे के माशूक़ों को झेले हैं By Sher << कुछ और माँगना मेरे मशरब म... वो कभी आग़ाज़ कर सकते नही... >> हज़ारों रंज-ए-दिल दे दे के माशूक़ों को झेले हैं ये पापड़ किस ने बेले हैं ये पापड़ मैं ने बेले में Share on: