हज़ारों तमन्नाओं के ख़ूँ से हम ने By Sher << क्या करें जाम-ओ-सुबू हाथ ... ये कौन चुपके चुपके उठा और... >> हज़ारों तमन्नाओं के ख़ूँ से हम ने ख़रीदी है इक तोहमत-ए-पारसाई Share on: