हाजत नहीं बनाओ की ऐ नाज़नीं तुझे By Sher << हमारा काबा-ए-मक़्सूद तेरा... गुल आते हैं हस्ती में अदम... >> हाजत नहीं बनाओ की ऐ नाज़नीं तुझे ज़ेवर है सादगी तिरे रुख़्सार के लिए Share on: