हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके By Sher << फूल इस ख़ाक-दाँ के हम भी ... मौसम कोई भी हो पे बदलता न... >> हक़ीक़तों में ज़माना बहुत गुज़ार चुके कोई कहानी सुनाओ बड़ा अँधेरा है Share on: