हक़्क़-ए-मेहनत उन ग़रीबों का समझते गर अमीर By Sher << मेरा भी एक बाप था अच्छा स... यहाँ जितने हैं अपने बाप क... >> हक़्क़-ए-मेहनत उन ग़रीबों का समझते गर अमीर अपने रहने का मकाँ दे डालते मज़दूर को Share on: