हम आस्तान-ए-ख़ुदा-ए-सुख़न पे बैठे थे By Sher << अपना सानी वो आप ही निकले होश-ओ-हवास खोने लगा हूँ फ... >> हम आस्तान-ए-ख़ुदा-ए-सुख़न पे बैठे थे सो कुछ सलीक़े से अब ज़िंदगी तबाह करें Share on: