हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते By Sher << आएँ हैं वो मज़ार पे घूँघट... गिरने वाला है मिरा बोझ सँ... >> हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते अब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते Share on: