हम झुलस तो रहे हैं ऐ जानाँ! By Sher << बुझी नहीं मिरे आतिश-कदे क... दिल में कुछ भी तो न रह जा... >> हम झुलस तो रहे हैं ऐ जानाँ! तेरा सूरज भी तो पिघलता है Share on: