हम जिस पे मर रहे हैं वो है बात ही कुछ और By Sher << कम-अयारी ने ख़ुदा-सोज़ बन... ख़ाली सही बला से तसल्ली त... >> हम जिस पे मर रहे हैं वो है बात ही कुछ और आलम में तुझ से लाख सही तू मगर कहाँ Share on: