हम जो दस्तक कभी देते थे सबा की मानिंद By Sher << वो तो सुनता नहीं किसी की ... लब-ए-मय-गूँ का तक़ाज़ा है... >> हम जो दस्तक कभी देते थे सबा की मानिंद आप दरवाज़ा-ए-दिल खोल दिया करते थे Share on: