हम कौन शनावर थे कि यूँ पार उतरते By Sher << अपने हुदूद से न बढ़े कोई ... वक़्त शाहिद है कि हर दौर ... >> हम कौन शनावर थे कि यूँ पार उतरते सूखे हुए होंटों की दुआ ले गई हम को Share on: