हम ख़ून की क़िस्तें तो कई दे चुके लेकिन By Sher << इस तरह रोज़ हम इक ख़त उसे... हम हार गए तुम जीत गए हम न... >> हम ख़ून की क़िस्तें तो कई दे चुके लेकिन ऐ ख़ाक-ए-वतन क़र्ज़ अदा क्यूँ नहीं होता Share on: